2,000 ही नहीं, भारत में चलते थे 5,000 और 10,000 रुपए के नोट, जानें किसने कब किया बंद

भारत का सबसे ज्यादा मूल्य का करंसी नोट पहली बार 1938 में छपा था। उस समय भारत पर अंग्रेजों का शासन था। 1938 में चलन में आए 10,000 रुपए के नोट ज्यादा दिन नहीं चला पाया।

10000 rupees note in india | Sach Bedhadak

नई दिल्‍ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही 2,000 के नोट को चलन से बाहर का ऐलान किया था। आरबीआई के मुताबिक, जिनके पास 2,000 के नोट वो 30 सितंबर तक बदला सकते हैं या फिर बैंक अकाउंट में जमा करा सकते हैं। आज की जनरेशन 2,000 के नोट को ही सबसे बड़ा नोट समझती है। हालांकि, ये हकीकत नहीं है। भारत में इससे पहले 5,000 और 10,00 रुपए के नो भी चलन में थे। इन्हें सरकार ने काले धन पर लगाम लगाने के लिए बंद कर दिया था।

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भारत का सबसे ज्यादा मूल्य का करंसी नोट पहली बार 1938 में छपा था। उस समय भारत पर अंग्रेजों का शासन था। 1938 में चलन में आए 10,000 रुपए के नोट ज्यादा दिन नहीं चला पाया। 8 साल बाद ही अंग्रेज हुकुमत ने इसे बंद करने का निर्णय लिया था। यह 1946 में चलन से बाहर हो गया था। दस हजार के नोट बंद करने की वजह व्यापारियों की मुनाफाखोरी को बताया जाता है।

आजादी के बाद आया बड़े नोटों का चलन

1947 में आजादी के बाद भारत में 5,000 रुपए और 10,000 रुपए के करंसी नोट चलन में आए। साल 1954 में यानी आजादी के 7 साल बाद इसे छापा गया था। इसके साथ ही 1,000 रुपए के नोटों को कफर से चलन में लाया गया। बड़े मूल्य के करेंसी नोटों का इस्तेमाल भारत में करीब 24 साल तक धड़ल्ले से हुआ। 1978 में मोरारजी देसाई सरकार ने 1,000, 5,000 और 10,000 रुपए के नोटों को बंद कर दिया था। नोटबंदी की यह घोषणा आकाशवाणी पर की गई।

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जनता पर नहीं पड़ा कोई खास असर

मोरारजी देसाई ने जब नोटबंदी का ऐलान किया तो उसका नागरिकों पर इसका ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। इसका कारण यह था कि उस समय बड़े नोट ज्यादा सर्कुलेशन में नहीं थे। रिजर्व बैंक के अनुसार 31 मार्च, 1976 तक कुल 7,144 करोड़ की करेंसी चलन में थी। इसमें 1,000 रुपए के नोट 87.91 करोड़ रुपए मूल्य के थे। यह कुल राशि का मात्र 1.2 प्रतिशत थे। 5,000 रुपए के नोट केवल 22.90 करोड़ रुपए मूल्य के थे। जबकि 10,000 के कुल 1260 नोट चलन में थे जिनकी वैल्यू 1.26 करोड़ थी। अगर तीनों बड़े नोटों का सर्कुलर देखा जाए तो सिर्फ 2 फीसदी से भी कम था।

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