दो दोस्तों की मेहनत लाई रंग, बिना मिट्टी मशरूम उगाकर हर महीने कमा रहे लाखों

यशराज साहू और राहुल मीणा आज के ऐसे युवा हैं जिन्हें खुद पर भरोसा है और इसी भरोसे की बदौलत यश ने अपनी नौकरी छोड़कर ओएस्टर मशरूम की खेती शुरू की और खूब कमा रहे हैं।

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कोटा के यशराज साहू और राहुल मीणा आज के ऐसे युवा हैं जिन्हें खुद पर भरोसा है और इसी भरोसे की बदौलत यश ने अपनी नौकरी छोड़कर ओएस्टर मशरूम की खेती शुरू की और खूब कमा रहे हैं। यशराज का सालाना टर्नओवर अच्छा-खासा है और अपने काम से उन्होंने दूसरे युवाओं के लिए मिसाल पेश की है। इस काम में यश के दोस्त राहुल मीणा मदद करते हैं।

दो दोस्तों की इस जोड़ी ने बिना मिटटी और भूसे के हैंगिंग बैग्स में फ्रेश मशरूम की खेती शुरू की और आज वे 45 दिनों में ओएस्टर मशरूम की फसल से अच्छी कमाई कर रहे हैं। वे केवल मशरूम उगाते ही नहीं हैं बल्कि इसका पाउडर बनाकर प्रोसेसिंग भी करते हैं। वे मशरूम के और भी कई उत्पाद बनाकर मार्केट में बेच रहे हैं।

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यश और लोगों को भी इस काम से जोड़ रहे हैं। वे फ्रेश ओएस्टर मशरूम 150 रुपए किलो बेचते हैं वहीं इसका पाउडर बनाकर दो हजार प्रतिकिलो तक मिल जाता है। सौ किलो मशरूम से दस किलो पाउडर बनता है इससे वे 45 दिनों में ही एक लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं।

दिन-रात की मेहनत का कमाल

यश और राहुल ने अपने कोटा में खाली पड़े प्लॉट पर मशरूम की खेती के लिए बांस के स्ट्रक्चर बनाकर ग्रीन नेट काली पॉलिथिन से संसाधन जुटाए और मशरूम लगाना शुरू किया। 500 बैग्स से शुरू हुआ ये सफर आज 1000 बैग्स तक पहुंच चुका है और लगातार जारी है। यश ने 11वीं में एग्रीकल्चर विषय चुनने के बाद बीएससी भी एग्रीकल्चर में ही कर रहे हैं।

पढ़ाई के बीच में वे देहरादून से एक महीने का मशरूम फार्मिंग का प्रशिक्षण लेकर लौटे और 50 बैग्स में मशरूम उगाकर देखना चाहा कि वे कितना सीखकर आए हैं, इन पचास बैग्स से उन्हें 45 दिनों में 80 किलो मशरूम मिले। इन्हें यश ने 100 किलो के हिसाब से बेचा, इससे यश को आगे का रास्ता मिल गया।

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यश ने कोटा के कृषि वैज्ञानिकों से नई तकनीक सीखी और इससे उन्हें हजार किलो से भी ज्यादा मशरूम मिले और उन्होंने अस्सी हजार की कमाई की। वे जान चुके थे कि ओएस्टर मशरूम की खेती में उन्हें फायदा होने वाला है।

मार्केट में मशरूम के पाउडर-अचार, पापड व बिस्किट्स की विशेष डिमांड

यश कहते हैं स्कूल में पढ़ते हुए ही मशरूम की खेती का ख्याल आया और मैंने विशेषज्ञों से प्रशिक्षण लेकर अपने घर में 250 फीट खाली जगह में स्ट्रक्चर तैयार किए और मशरूम की खेती का प्रयोग किया। इसके परिणाम अच्छे रहे और इसके बाद मैंने अपने दोस्त राहुल को अपने साथ जोडा़। अब हम अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

शुरू में मशरूम बेचने में प्रॉब्लम हुई, लेकिन फिर कृषि संस्थान की मदद मिली और सोशल मीडिया पर भी हमने मशरूम बेचना शुरू किया। अब हमारी अपनी कंपनी है। ये दोनों दूसरों को भी इस काम में सहयोग कर रहे हैं। वे औरों से मशरूम खरीदकर इसके पाउडर, अचार, पापड, कैप्सूल बिस्किट्स आदि बनाकर अच्छा कमा रहे हैं। इन प्रोडक्टस की खूब डिमांड है।

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