एक बच्चे के जन्म के साथ हर मां-बाप की ख्वाइशें भी जन्म लेती हैं। हर पैरेंट्स चाहते हैं कि, उनके बच्चे पढ़ाई लिखाई में होशियार और सेल्फ कॉन्फिडेंस से भरपूर हो।
अपने बच्चे को स्मार्ट, कॉन्फिडेंट और स्ट्रॉग बनाने के लिए मां-बाप क्या कुछ नहीं करते हैं। लेकिन पैरेंट्स की तमाम कोशिशों के बावजूद भी बच्चे पीछे रह जाते हैं।
बच्चों के दब्बू रहने की वजह कई बार माता-पिता का बरताव बन जाता है। कई माता-पिता अपने बच्चों पर इतना प्रेशर जाने अंजाने में डाल देते हैं कि, बच्चें कॉन्फिडेंट बनने की जगह दब्बू रह जाते हैं।
1. अक्सर पैरेंट्स अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों के करते हैं। पैरेंट्स को लगता है कि वो कॉम्पिटिशन क्रीएट कर रहे हैं लेकिन वो असल में बच्चों को नीचा महसूस करा रहे हैं।
इसके चलते बच्चा दूसरो के प्रति ईर्ष्या, हिंसा और द्वेष महसूस करने लगता है। कोशिश करें कि, बच्चे को मोटीवेट करने की कोशिश करे वो जितना कर पा रहा है उसे उसके लिए एप्रीशिएट करें।
2. बच्चों को डिसिप्लिन में रखना जरूरी है। लेकिन इसके लिए जरूरत से ज्यादा सख्ती बच्चों के मन में डर पैदा कर सकती है। इससे न सिर्फ बच्चा आपसे डरने लगेगा बल्कि उसका आत्मविश्वास भी कम होगा।
3. अगर आप बच्चों को उनके गलत कामों के लिए डाटते हैं तो, उनके अच्छे कामों के लिए उन्हें एप्रिशिएट भी करें। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो बच्चे के मन को ठेस पहुंचेगी। कोशिश करें कि, वो खुश रहें।
4. बच्चों का मन बहुत नाजुक होता है। बचपन में जो बात उनके मन में भर जाती है वो बड़े होने तक उनके मन में रहती है। बच्चे की गलती पर उसे जरूरत से अधिक डांटना या पीटना भी अभिभावकों की गलती है।
मारपीट से बच्चों में आत्मविश्वास की कमी आ जाती है और वो जो भी काम करेगा डर के चलते वो गलत ही होगा।