सूरत। कहते है कि ‘जाको राखे साइयां मार सके ना कोई’ यह कहावत गुजरात के सूरत में उस वक्त चरितार्थ हुई। जब एक 13 साल का बच्चा समंदर की लहरों के बीच खो गया और परिजन भी उसे मरा हुआ समझकर अपने घर पर चले गए। लेकिन, 36 बाद परिजनों के खुशी के आंसू छलक पड़े।
दरअसल, हुआ यूं कि भगवान गणेशजी ने कुछ ऐसा चमत्कार किया कि बच्चे की जान बच गई। समंदर के बीच जब बच्चे के बचने की कोई उम्मीद नहीं थी, तब गणपति सहारा बने और बच्चे को नया जीवन मिल गया है। यह खबर अब चर्चा का विषय बना हुआ है। आईये जानते है कि बच्चे के साथ कैसे हादसा हुआ और कैसे उसकी जान बच गई।
सूरत शहर के दुम्मस बीच पर गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) के दूसरे दिन 29 सितंबर को 13 साल का बच्चा लखन अपने परिवार के साथ घूमने के लिए गया था। तभी बच्चा नहाने के लिए समंदर किनारे चला गया। इसी दौरान वह समंदर की लहरों के बीच खो गया। जिस पर सूरत पुलिस प्रशासन ने बच्चे की खोज के लिए गोताखोर व फायर ब्रिगेड की मदद ली।
लेकिन, बच्चे का कहीं कोई पता नहीं चला। बच्चे को खोजने के लिए हजीरा औद्योगिक क्षेत्र की कई बड़ी कंपनियों से भी मदद मांगी गई थी। लेकिन, पानी में डूबे बच्चे को ढूंढने में सफलता हाथ नहीं लगी। ऐसे में बच्चे के परिजन भी उसे मरा समझकर अपने घर लौट गए।
लेकिन, गणेशजी ने बच्चे को समंदर में डूबने से बचा लिया। बच्चा गणेश प्रतिमा के निचले हिस्से को पकड़कर करीब 36 घंटे तक बैठा रहा और प्रतिमा के सहारे तैरता रहा। समंदर में मछली पकड़ने जा रहे भवानी बट के मछुआरों ने बच्चे को देखा तो वह उसके पास पहुंचे और उसे अपनी बोट में बैठा लिया। उसके बाद मछुआरों ने उसकी सूचना मत्स्य पालन विभाग की बिंदु बेन को सूचित किया।
बिंदु बेन ने सूरत के मरीन थाना पुलिस और दुम्मस थाना पुलिस प्रशासन को सूचना दी। इसके बाद बच्चे को सही सलामत उसके परिजनों के पास भेज दिया। बेटे के जिंदा होने के आस छोड़ चुके परिजन उसे देखते ही अपने आंसू नहीं रोक पाए और बेटे से लिपटकर रोने लगे। लेकिन, यह खबर देवीपूजक परिवार के साथ-साथ ही प्रशासन के लिए भी किसी चमत्कार से कम नहीं थी।
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